Aparna Sharma

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लेखनी प्रतियोगिता -22-Jun-2023

दैनिक प्रतियोगिता स्वैच्छिक 

कविता 

*चेहरे पर चेहरा*🎭

*आज हर शख़्स मुखौटा लगाए बैठा है।* 
चेहरे पर एक चेहरा चढ़ाए बैठा है। 

क्या नेता क्या अभिनेता 
हर एक झूठ पर ही ऐंठा है
*आज हर शख्स मुखौटा लगाए बैठा है।*

दोस्त हो या रिश्तेदार 
होंठों पर नकली मुस्कान सजाए बैठा है !
*आज हर शख़्स मुखौटा लगाए बैठा है।*

नौकर हो या अफसर 
सबने झूठ का पुलिंदा लपेटा है। 
*आज हर शख़्स मुखौटा लगाए बैठा है।*


डाक्टर हो या इंजिनियर 
सभी ने बस अपना रोजगार समेटा है। 
*आज हर शख़्स मुखौटा लगाए बैठा है।*

*अपर्णा गौरी शर्मा*🌿

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4 Comments

Punam verma

23-Jun-2023 09:24 AM

Very nice

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Abhinav ji

23-Jun-2023 07:46 AM

Very nice 👍

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Madhumita

23-Jun-2023 12:49 AM

Nice

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